तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध थे. इसी वजह से उन्हें क्रांतिकारी संत भी कहा जाता था. वहीं, कड़वे प्रवचन नामक उनकी पुस्तक भी काफी प्रचलित है.
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20 दिन की बीमारी के बाद जैन मुनि तरुण सागर का 51 साल की उम्र में निधन
Reviewed by RUPA
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